सनातन धर्म, हिंदू धर्म का प्राचीन नाम है. इसे वैदिक धर्म भी कहा जाता है. अनेक प्राचीन ग्रन्थ और इतिहास में इसे ब्राह्मण धर्म के नाम से भी संबोधित किया गया ! सनातन धर्म की कुछ विशेष बातेंः सनातन शब्द का मतलब है ‘शाश्वत’ या ‘सदा बना रहने वाला’. इसका मतलब है कि इसका कोई आदि या अंत नहीं है. सनातन धर्म को दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक माना जाता है. भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में इसके कई चिह्न मिले हैं. सनातन धर्म में सत्य, निष्ठां, इमानदारी, पवित्रता, दया, धैर्य, सहनशीलता, आत्म-संयम, उदारता जैसे गुणों को महत्व दिया जाता….
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संत सुधारक युगदृष्टा ऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की जयंती पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ
व्यक्तित्व चरित्र, योग स्वास्थ्य, वैज्ञानिक आध्यात्मवाद, सनातन संस्कृति, मानव मूल्य आदि विषयो के पुरोधा लेखक, दार्शनिक युगदृष्टा संत सुधारक युगऋषि, वेदमुर्ति तपोनिष्ठ, गुरुदेव् पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने, सनातन ऋषि स्तरीय तपस्या, का अनुशासित जीवन जीते हुए, सर्वोच्च आध्यात्मिक श्रेष्ठता अर्जित की, सम्पूर्ण मानवता को सन्मार्ग में प्रेरित किया, सम्पूर्ण सृष्टि के कल्याण का मार्ग प्रवर्त किया, जिन्होने बदलते समय के अनुसार हमारे दृष्टिकोण को, विचारों को, संवेदनशीलता का विस्तार करने के लिये, जीवन को बदलने के लिये, देवो के लिए ब्रह्मज्ञान के सामान अतुलनीय, 4000 से अधिक सत्साहित्य पूजतको का सृजन किया, वेदों उपनिषदों योग् सूत्र सांख्य दर्शन….
Read moreफ़सलोत्तर प्रबंधन अर्थात् कृषि विपणन का महत्व
फलों और सब्जियों की कटाई के बाद फ़सलोत्तर प्रबंधन , वैल्यू ऐडिशन/प्रसंस्करण का महत्व फलों और सब्जियों की कटाई के बाद की प्रक्रिया कृषि मूल्य श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कदम है जो कटाई के बाद और उपभोग या आगे वितरण से पहले होती है। इस प्रक्रिया में कई गतिविधियाँ शामिल हैं जिनका उद्देश्य गुणवत्ता को बनाए रखना, शेल्फ़ लाइफ़ को बढ़ाना और काटे गए उत्पाद में मूल्य जोड़ना है। यहाँ कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं कि फलों और सब्जियों की कटाई के बाद की प्रक्रिया क्यों अत्यंत महत्वपूर्ण है: गुणवत्ता का संरक्षण: कटाई के बाद प्रसंस्करण से फलों और सब्जियों की….
Read moreशुभ अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रन्थों , मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किन्तु वैशाख माह की तृतीया तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्त्व है। मान्यता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखण्ड, वाहन आदि की खरीददारी से सम्बन्धित कार्य किए जा….
Read moreमाता महादेवी सती के 51 शक्तिपीठ
माता महादेवी सती के 51 शक्तिपीठ जहां-जहां महादेवी सती के अंग, वस्त्र और गहने गिरे वह स्थान बन गये दिव्य शक्तिपीठ सनातन हिंदू धर्म के विशेष ग्रंथ पुराणों में माता के दिव्य शक्तिपीठों का वर्णन है। जहां-जहां महादेवी सती के अंग के टुकड़े, वस्त्र और गहने गिरे वहां-वहां मां के दिव्य शक्तिपीठ स्थापित है, ये दिव्य शक्तिपीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में मौजूद है। देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का उल्लेख है जबकि देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं। इन 51 दिव्य शक्तिपीठों की संक्षिप्त जानकारी किरीट शक्तिपीठ– पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है किरीट शक्तिपीठ, जहां….
Read moreॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे महामंत्र है, इस मन्त्र को नवार्ण मंत्र भी कहा जाता है जो देवी भक्तों में सबसे प्रशस्त मंत्र माना गया है। इस मन्त्र के जाप से महासरस्वती, महाकाली तथा महालक्ष्मी माता की कृपा तथा आशीर्वाद प्राप्त होता है। समस्त जगत परब्रह्म की शक्ति है तथा वस्तुतः ब्रह्म की सत् शक्ति के आधार पर भौतिक सृष्टि की प्रतीति हो रही है, चित्त में चेतन जगत् की प्रतीति, आनंद से जगत् में प्रियता की प्रतीति है। इस प्रकार जगत् सत्, चित्, आनंद रूप ही है, भ्रम से अन्य प्रतीत होता है। ॐ – उस परब्रह्म का….
Read moreपत्रकारिता , वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहितः की परंपरा
भारतीय पत्रकारिता की अदभुत परंपरा ने न केवल स्वतंत्रता हेतू सुप्त जनमानस को जगाया, उसे संग्राम हेतु तैयार किया, गढ़ा, प्रेरित किया, इस्तेमाल किया, लक्ष्य भी प्राप्त किया, आज भी पत्रकारिता के संवाहक, वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहितः के ध्येय पर संकल्पित है, व्यक्ति समाज राष्ट्र को जागृत और जीवंत बनाये रखने में प्राण पन जे जुटे है, लगातार समाज श्रेष्ठता की और अग्रसर हो उसकी सुरक्षा हो, मानव अधिकारों की अनुपालना रहे, न्याय के लिए संघर्षरत है, सनातन देवर्षि नारद को इस परंपरा का उदभव माने तो आधुनिक युग से राजाराममोहन राय , राजा शिवप्रसाद, राजा लक्ष्मण सिंह, भारतेंदु हरिश्चंद्र,….
Read moreजयति जयति उज्जयिनी
शुभ अक्षय तृतीया – जय परशुराम जन्मोत्सव
शुभ अक्षय तृतीया जय परशुराम जन्मोत्सव May 3 मंगलवार Parshurama (Sanskrit: परशुराम, Paraśurāma ) Rama with an axe is the sixth avatar of Vishnu in Hinduism. Born as a Brahmin, Parashurama carried traits of a tyrants and is often regarded as a Brahman Warrior, He carried a number of traits, which included aggression, warfare, and valor ; also, serenity, prudence, and patience. शुद्धं बुद्धं महाप्रज्ञामण्डितं रणपण्डितम्। śuddhaṃ buddhaṃ mahāprajñāmaṇḍitaṃ raṇapaṇḍitam। शुद्ध, जागृत, महान बुद्धि से सुशोभित (और) युद्ध के मैदान में कुशल। Pure, awakened, adorned with great intellect (and) skillful on the battlefield. ॐ जामदग्न्याय विद्महे। महावीराय धीमहि। तन्नो रामः….
Read moreमहाशिवरात्रि महोत्सव पर महाकाल शयन आरती भक्त मंडल का महाप्रसादी रिसेप्शन अदभुत आयोजन
श्री महाकाल शयन आरती भक्त परिवार , महाकाल नियमित दर्शन भक्त मंडल उज्जयिनी व अन्य देश विदेश के महाकाल भक्तों द्वारा महाशिवरात्रि जो कि महादेव का विवाह उत्सव है से अगले प्रदोष शिवरात्रि पर प्रतिवर्ष पुनः विवाह के संस्कार परंपराओं, रस्मो जैसे श्रीगणेश पूजा, षोडश मातृका पूजा, नवग्रह शांति, हल्दी मेहंदी, संगीत, शिव बारात, भूत प्रेत मंडली का नृत्य तथा सबसे अद्भुत रिसेप्शन, सतत प्रसादी महाभोज का आयोजन होता है, जिसमे आम क्या, ख़ास क्या सब बाबा की कृपा प्रसादी प्राप्त करने हेतु टूट पड़ते है, इसकी भव्यता दिव्यता और व्यापकता देखते ही बनती है, जहाँ एक और छोटी मोटी….
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